अय्यूब 10:14-15
[14]जो मैं पाप करूं, तो तू उसका लेखा लेगा; और अधर्म करने पर मुझे निर्दोष न ठहराएगा।
[15]जो मैं दुष्टता करूं तो मुझ पर हाय! और जो मैं धमीं बनूं तौभी मैं सिर न उठाऊंगा, क्योंकि मैं अपमान से भरा हुआ हूं और अपने दु:ख पर ध्यान रखता हूँ।
प्रार्थना:- हे प्रभु यीशु मसीह आप इस संसार के रचयिता है, मनुष्य को भी आपने अपने हाथों से बनाया है, और उसके सारे कामों को भी देखते हैं, एक दिन आप उसके भले व बुरे कामों का न्याय करेंगे, आमीन l
प्रभु आपको बरकत दे l
No comments:
Post a Comment