कुलु 3:15-16
[15]और मसीह की शान्ति जिस के लिये तुम एक देह होकर बुलाए भी गए हो, तुम्हारे हृदय में राज्य करे, और तुम धन्यवादी बने रहो।
[16]मसीह के वचन को अपने हृदय में अधिकाई से बसने दो; और सिद्ध ज्ञान सहित एक दूसरे को सिखाओ, और चिताओ, और अपने अपने मन में अनुग्रह के साथ परमेश्वर के लिये भजन और स्तुतिगान और आत्मिक गीत गाओ।
प्रार्थना :- हे प्रभु यीशु जिस मकसद के लिए आपने हमें बुलाया है, वो मकसद हमारे जीवन से पूरा होने पाए, सब बातो में आपको आदर और महिमा मिले, आमीन।
प्रभु आपको अपने वचन के द्वारा आशीष प्रदान करे।
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