1 थिस्स.5:5-6
[5]क्योंकि तुम सब ज्योति की सन्तान, और दिन की सन्तान हो, हम न रात के हैं, न अन्धकार के हैं।
[6]इसलिये हम औरों की नाईं सोते न रहें, पर जागते और सावधान रहें।
प्रार्थना:- प्यारे प्रभु जी हम ज्योति की संतान हैं, तो हमारे कार्य भी ज्योति की नाई हो सकें, जिससे आपकी महिमा हमारे जीवन के द्वारा सदैव होती रहे, आमीन।
प्रभु आपको अपने वचन के द्वारा आशीष प्रदान करे।
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