पौलुस ने कहा कि वह भेद मुझ पर प्रकाशन के द्धारा प्रकट हुआ, जैसा मैं पहले ही संक्षेप में लिख चुका हूं, जिसे तुम पढ़ कर जान सकते हो कि मैं मसीह का वह भेद कहाँ तक समझता हूं। जो अन्य समयों में मनुष्य की संतानों को ऐसा नहीं बताया गया था, जैसा कि आत्मा के द्धारा अब उसके पवित्र प्रेरितों और भविष्यवक्ताओं पर प्रकट किया गया है।
मसीह में प्रियों परमेश्वर का भविष्य ज्ञान और उसका नियंत्रण पूरी सृष्टि एवं मानव पर पूर्णरूपेण है इसका प्रमाण हमें मिलता है इब्रानियों 1:1-2 पूर्व युग में परमेश्वर ने बाप दादों से थोड़ा थोड़ा करके और भांति भांति से भविष्यद्वक्ताओं के द्धारा बातें कर इन दिनों के अन्त में हम से पुत्र के द्धारा बातें की, जिसे उस ने सारी वस्तुओं का वारिस ठहराया और उसी के द्धारा उस ने सारी सृष्टि की रचना की है।
क्या समझ में आता है - सृष्टि की रचना के वक्त भी यीशु है - कलवरी क्रूस की मृत्यु में भी यीशु है - मृत्युंजय एवं पहिलौठा भी वही है अत: परमेश्वर के पुत्र के रूप में वो वरिस है और यीशु के कारण ही हम परमेश्वर के संतान भी हुए और संगी वारिस भी हुए।
चलिए परमेश्वर के अद्भुत कार्य करने की शैली पर हम मनन करें।
दानिय्येल 12:4 & 9 परन्तु हे दानिय्येल, तू इस पुस्तक पर मुहर कर के इन वचनों को अन्त समय तक के लिये बन्द रख। और बहुत लोग पूछ-पाछ और ढूंढ-ढांढ करेंगे, और इस से ज्ञान बढ़ भी जाएगा।
उस ने कहा, हे दानिय्येल चला जा; क्योंकि ये बातें अन्त समय के लिये बन्द हैं और इन पर मुहर दी हुई है।
आज से 2700 वर्ष पहले पृथ्वी पर आने वाली घटनाओं का जिक्र परमेश्वर द्धारा दानिय्येल को प्रदान कर दिया गया था परंतु इसे मुहर बंद कर दिया गया था। क्यों? परमेश्वर जानता था ये कठिन बातें हैं। पहले लोग यीशु के प्रथम आगमन एवं यीशु के बलिदान का उद्देश्य तो समझ ले फिर जो बातें मुहरबंद हैं जो अनुग्रह वाले अनुग्रह काल के अंत की हैं उसे समझ पाएंगे। इतिहास साक्षी है जैसा परमेश्वर ने कहा था वैसा ही घटित हो रहा है।
2 तीमुथियुस 1:13 परंतु दुष्ट और बहकाने वाले धोखा देते हुए और धोखा खाते हुए बिगड़ते चले जाएंगे। इसी के समान वचन दानिय्येल 12:10 एवं प्रकाशितवाक्य 22:11 में भी है।
परमेश्वर की इच्छा - मनुष्य विश्वासयोग्य, आज्ञाकारी एवं मृत्युंजय बने और यह पवित्र इच्छा बिना सृष्टिकर्ता के जो स्वयं उद्धारकरता बना पूरी हो नहीं सकती थी। आज पवित्र आत्मा जो मनुष्य को सहायक के रूप में प्रदान की गई है उसी के सामर्थ द्धारा हम पवित्रता का जीवन बिता सकते हैं।
1 कुरिन्थियों 15:19 यदि हम केवल इसी जीवन में मसीह से आशा रखते हैं तो हम सब मनुष्यों से अधिक अभागे हैं।
विश्व दो समुदायों में बटा है - एक यीशु पर विश्वास करने वाले दूसरे नहीं करने वाले। जो अविश्वासी है उनके जीवन में मृत्युपरांत क्या होगा इसकी कोई निश्चयता नहीं है इसलिए वे अपनी विश्वास के तहत भौतिक जीवन की परिपूर्णता में लगे रहते हैं परंतु विश्वासियोँ के लिए एक धन्य आशा दी गई है तीतुस 2:13 और उस धन्य आशा की अर्थात अपने महान परमेश्वर और उद्धारकर्ता यीशु मसीह की महिमा के प्रगट होने की बाट जोहते रहें। इसके बावजूद भी मसीह लोग मृत्यु के पार वाले जीवन के बारे में सोचने एवं कार्य करने में विफल होते हैं तो उनके जैसा अभागा इंसान कौन होगा। अनंत जीवन को भी परमेश्वर के साथ व्यतीत करना जिसका न कोई अंत होगा उसकी तुलना हम अपने 70 - 80 वर्ष के शारीरिक जीवन से यदि हम करें तो हमारे समान मूर्ख कौन होगा! मसीहियोँ को हमेशा इस बात का अपने जीवन में एहसास होना अनिवार्य है, मृत्यु से पहले शारीरिक जीवन है, जिसमें हमें आत्मा के द्धारा चलना है और मृत्यु के बाद एक अनंतकालीन जीवन है जिसमें हम या तो स्वर्ग में अथवा आग की झील (नरक) में जा सकते हैं।
हमारा पुनरुत्थान किन बातों पर निर्भर है:-
1 कुरिन्थियों 15:20 मसीह मुर्दों में से जी उठा - मृतकों में पहला पल हुआ
1 कुरिन्थियों 15:21 आदम द्धारा मृत्यु आई तो दूसरे आदम द्धारा पुनरुत्थान आया
1 कुरिन्थियों 15:22 आदम में सब मरते हैं मसीह में सब मिलाए जाएंगे
1 कुरिन्थियों 15:23 पहला फल मसीह, फिर मसीह के आने पर उसके लोग
1 कुरिन्थियों 15:24 यीशु मसीह सारी प्रधानता, और सारा अधिकार और सामर्थ्य का अंत करके राज्य को परमेश्वर पिता के हाथ में सौंप देगा
1 कुरिन्थियों 15:27 परमेश्वर पिता ने सबकुछ यीशु के पाँवों तले कर दिया है
1 कुरिन्थियों 15:28 जब सबकुछ उसके अधीन हो जाएगा तो पुत्र आप भी उसके अधीन हो जाएगा, जिसने सब कुछ उसके अधीन कर दिया, ताकि सब में परमेश्वर (एलोहिम) ही सब कुछ हो
दो वचनों पर हम गौर करेंगे:-
प्रकाशितवाक्य 1:4-5 उसकी ओर से जो है और जो था और जो आने वाला है और उन 7 आत्माओं की ओर से जो उसके सिहासन के सामने है और यीशु मसीह की ओर से जो विश्वासयोग्य साक्षी और मरे हुओं में से जी उठने वाला पहलौठा और पृथ्वी के राजाओं का हकीम है, तुम्हें अनुग्रह और शांति मिलती रहे।
यह उसका महिमामय रूप है (निर्गमन 3:14) प्रकाशितवाक्य 1:17 मत डर; मैं प्रथम और अंतिम और जीविता हूं; मैं मर गया था, और अब देख मैं युगानुयुग जीवता हूं; और मृत्यु और अधोलोक की कुंजियां मेरे ही पास है।
यहां पर यीशु ने अपने स्वरदूत को भेजकर यूहन्ना को उन सारी बातों को लिखने को कहा जिसे उसने स्वयं देखी हो और जो बातें हो रही है और जो बातें उसके बाद होने वाली है। (प्रकाशितवाक्य 1:19 )
यूहन्ना यहां गवाही देते हैं 1यूहन्ना 1:1-4 पढ़ें। सुना गया, आंखो द्धारा देखा गया, ध्यान से देखा और हाथों से छुआ - उस जीवन का प्रगटीकरण की गवाही हम देते हैं और तुम्हें उस अनंत जीवन का सुसमाचार देते हैं जो पिता के साथ था और हम पर प्रगट हुआ। यह इसलिए हुआ कि तुम (हम) भी हमारे साथ से भागी हो और हमारी यह सहभागिता पिता के साथ और उसके पुत्र यीशु मसीह के साथ है - कितनी बड़ी गवाही है यह जरा विचार करें।
प्रकाशितवाक्य 22:10 इस पुस्तक की भविष्यवाणी की बातों को बंद मत कर क्योंकि समय निकट है।दानिय्येल 12:9 में वचन कहता है मुहर करके बंद कर क्योंकि अंत के समय के लिए है।
प्रकाशितवाक्य 5:2 इस पुस्तक को खोलने और उसकी मोहरे तोड़ने के योग्य कौन है? उत्तर है प्रकाशितवाक्य 5:5 देख यहूदा के गोत्र का वह सिंह जो दाऊद का मूल है उस पुस्तक को खोलने और उसकी सातों मुहरें तोड़ने के लिए जयवंत हुआ है।
2700 वर्ष पहले पुस्तक में भविष्य में होने वाली बातों का जिक्र - वो भी मुहर बंद है। यीशु के द्धारा मनुष्योँ का परमेश्वर से मेल-मिलाप, उद्धार के कार्यों को पूरा किया, हमें अपने लहू से खरीदा, मृत्यु पर विजय प्राप्त की एवं अधुलोक इन दोनों की कुंजियां यीशु के पास ही हैऔर यीशु परमेश्वर पिता के दाहिने हाथ की तरफ विराजमान है। अंत में 2000 सालो का अनुग्रह का योग भी उसमें शामिल है और यीशु के जन्म के करीब 700 वर्ष पहले यह भविष्यवाणी दी गई थी। यही कारण है कि विगत चार-पांच सालों से यीशु के आने की ओर लोगों का ध्यान जा रहा है लेकिन एक बात सच है "जो अन्याय करता है, वह अन्याय ही करता रहे, और जो मलीन है, वह मलीन बना रहे और जो धर्मी है वह धर्म ही बना रहे हैं और जो पवित्र है, वह पवित्र बना रहे" यह भी इसी प्रकार संसार में चलता रहेगा लेकिन परमेश्वर अपनी न टलनेवाले वचन को किसी भी कीमत पर पूरा करेगा और उस दरमियान वह सारी बातें भी पूरी होगी जो उसकी सत्यता एवं योग्यता के लिए जरूरी है। मसीहियों से मेरा निवेदन है परमेश्वर के वचन पर शत-प्रतिशत विश्वास करें क्योंकि हमारे लिए ही धन्य आशा दी गई है - लोगों को उत्साहित करते रहिए हमारा बचाव एवं निकास प्रभु में पक्का है क्योंकि वह विश्वास योग्य हैं। आमीन!
By Rev. Dr. Satish Kumar kujur
कृपया इन वचनो को अपने परिवार, रिस्तेदारो और प्रिय मित्रो को अवश्य शेयर करें।
धन्यवाद !
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