नई पहचान की ओर आगे बढ़ो
अध्ययनः मरकुस 1ः16-20
“वे तुरंत जालों को छोड़कर उसके पीछे हो लिये।“ (मरकुस 1ः18)
एक बार जब यीशु गलील की झील के किनारे से चल रहे थे उन्होंने शमौन और अन्द्रियास, याकूब और यूहन्ना को देखा जो मछली पकड़ने में व्यस्त थे। उन्होंने उन्हें बुलाया और कहा, “मेरे पीछे आओ; मैं तुम को मनुष्यों के मछुवे बनाऊँगा।“ तुरंत ये लोग, यीशु के शिष्य होने की नई पहचान के वादे की ओर मनुष्यों के मछुवे बनने के लिये बढ़े। उन्होंने जाल छोड़ दिया- जो उनके पिछले जीवन में बहुत उपयोगी था। इस नए व्यवसाय में, उन्हें न तो समान साधनों की आवश्यकता होगी और न ही वही वातावरण होगा। इस प्रकार, खाली हाथों से, कुछ भी जाने बिना, सिर्फ यीशु द्वारा पेशकश की गयी नई पहचान की इच्छा रखकर वे अपने परिचित वातावरण से दूर चलकर पूरी तरह अज्ञात में प्रवेश किये।
प्रिय दोस्तों, जब परिवर्तन आया है तब हम ने कितनी बार विरोध किया है - एक बदलाव जिसके लिये हम कुछ समय से ही तड़प रहे हैं! हम ने कितनी बार देरी की है जब परमेश्वर की आत्मा ने हमें अपनी सोच, हमारी आदतें, हमारी प्रार्थनाएँ और हमारे होने के तरीकों को बदलने की जरूरत बतायी है? परिचित अवसरों को छोड़ने के डर से, हम ने कितनी बार सार्थक अवसरों से अपने आप को दूर हटाया है? यीशु के शिष्यों के रूप में हमें विश्वास और आशा के साथ जीना चाहिये। जो आशंकाएँ हमें उलझते है, उस से बेपरवाह होकर, हमें अपने जीवन में मसीह के आह्वान को सुनना चाहिये और पवित्र आत्मा की अगुवाई का अनुसरण करना चाहिये। यदि हम नई पहचान के वादे की ओर बढ़ना चाहते है तो हमें अपनी पुरानी पहचान छोड़ देना चाहिये। हमें उन पूर्व की सोच, आदतें और होने के तरीकों को छोड़ देना होगा जिन्हें हमारी नई, बदली हुई पहचान में कोई स्थान नहीं होगा। हमें अपने पहले के वातावरण को छोड़ना होगा जो हमें आगे एक बदली हुई इच्छा और इच्छाशक्ति की ओर जाने नहीं देगा। हमें सब कुछ छोड़कर एक नई पहचान के वादे की ओर आगे बढ़ना चाहिये, यीशु का अनुसरण पूरी ईमानदारी से करके सिर्फ उन पर हमारा विश्वास और आशा रखना चाहिये।
प्रार्थनाः प्रिय प्रभु, मुझे ये जानने के लिये ज्ञान दीजिये कि मुझे वास्तव में आपका अनुसरण करने के लिये क्या छोड़ने की आवश्यकता है। मुझे अपनी पुरानी पहचान को छोड़ने के लिये तैयार होना चाहिये, मुझे अपनी पुरानी परिचित स्थितियों को छोड़ने से डरना नहीं चाहिये और आप पर विश्वास, भरोसा और आशा रखकर मुझे आगे बढ़ना चाहिये। आमीन।
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