को: भेड़ें भटकती असंख्य दूर कोई चरवाहा न कोई दिशा
चेतना कलीसिया में जाग उठी आओ उन्हें हम ले आयें
भेड़ें भटकती असंख्य दूर अब भी जगह है यीशु यह चाहे
उनको ले आओ
1) निर्जन दुर्गम क्षेत्रों में आत्माएं डूबती पापों में
दिल से प्रभु की यह उठती आह मेरे हैं वे उन्हें लाएगा कौन
2) भूमि फसल के लिए तैयार भेजे प्रभु अपने सेवक
पालन करने महान आदेश जुट जाएं भरने को यह खलिहान
3) मुझको सभी तक जाना है कैसे मैं इतने मुख लाऊँ
चाहूँ मैं तुम ही बन जाओ मेरा मुख मेरे पांव और मेरा ह्रदय
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