Yishu ke Pichhe (यीशु के पीछे)
1. यीशु के पीछे मैं चलने लगा (3)
न लौटूँगा (4)
2. संसार को छोड़ के सलीब को ले के (3)
मैं लौटूँगा(4)
3. गर कोई मेरे साथ न आए (3)
न लौटूँगा (4)
4. अगर मैं उसका इन्कार न करूँ (3)
ताज पाउँगा (4)
1. यीशु के पीछे मैं चलने लगा (3)
न लौटूँगा (4)
2. संसार को छोड़ के सलीब को ले के (3)
मैं लौटूँगा(4)
3. गर कोई मेरे साथ न आए (3)
न लौटूँगा (4)
4. अगर मैं उसका इन्कार न करूँ (3)
ताज पाउँगा (4)
को: यहोवा चरवाहा मेरा, कोई घटी मुझे नहीं है
हरी चराइयों में मुझे, स्नेह से चराता वो है
1) मृत्यु के अंधकार से, मैं जो जाता था
प्रभु यीशु करुणा से, तसल्ली मुझे दी है,
2) शत्रुओं के सामने, मेज को बिछाता वो है
प्रभु ने जो तैयार की, मन मेरा मगन है
3) सिर पर वो तेल मला है, अभिषेक मुझे किया है
दिल मेरा भर गया है, और उमड़ भी रहा है
4) सर्वदा प्रभु के घर में, करूँगा निवास जो मैं,
करूणा भलाई उसकी, आनंदित मुझे करती है
को: हे ईश्वर सेवा में अपनी मुझको ले
आत्मा बचाई जाए मेरे जीवन से
1) तू कुम्हार मैं मिट्टी मेरी तुझसे है विनती
मुझको एक बर्तन बना जिससे तेरी हो महिमा
जीवन भर चलता रहूँ तेरी संगत में
2) तेरे बिना मैं कुछ भी नहीं जीवन में कुछ रखा नहीं
मेरे जीवन को तू ले अपने हाथों से इसे
एक अच्छा बर्तन बना अपनी ईच्छा से
यीशु नाम सारे नामों से ऊँचा
यीशु नाम है कितना महान
तू महान है, तू महान है
तू महान है मेरे खुदा
१. जिस नाम से आगे झुकता हैं
हर घुटना जमीन आश्मान पर
और हर जुबां कहती है
तू प्रभु यीशु तेरा नाम है तू महान है,
२. यीशु नाम को जिसने पुकारा
पाया जीवन में उसने छुटकारा
मिलती शांति चंगाई पापों की क्षमा
उद्धार मुख्ती तेरे बिना है कहाँ
यीशु मसीह तेरे जैसा है कोई नहीं
तेरे चरनों में झुके आसमान
और महिमा गाये जमीन
हम गाये होसन्ना
तू राजाओं का है राजा
तेरी महिमा होवे सदा
तू है प्रभु हमारा खुदा
प्यारे पिता तूने हमसे इतना प्यार किया
हमें पापों से छुड़ाने को
अपने बेटे को कुर्बान किया
को: भेड़ें भटकती असंख्य दूर कोई चरवाहा न कोई दिशा
चेतना कलीसिया में जाग उठी आओ उन्हें हम ले आयें
भेड़ें भटकती असंख्य दूर अब भी जगह है यीशु यह चाहे
उनको ले आओ
1) निर्जन दुर्गम क्षेत्रों में आत्माएं डूबती पापों में
दिल से प्रभु की यह उठती आह मेरे हैं वे उन्हें लाएगा कौन
2) भूमि फसल के लिए तैयार भेजे प्रभु अपने सेवक
पालन करने महान आदेश जुट जाएं भरने को यह खलिहान
3) मुझको सभी तक जाना है कैसे मैं इतने मुख लाऊँ
चाहूँ मैं तुम ही बन जाओ मेरा मुख मेरे पांव और मेरा ह्रदय
को: आवाज़ उठायेंगे, हम साज़ बजायेंगे,
है यीशु महान अपना, ये गीत सुनायेंगे
आवाज़ उठायेंगे
1) संसार की सुंदरता में, यह रूप जो तेरा ही,
इन चाँद सितारों में, है अक्स तो तेरा ही
महिमा की तेरी बातें, हम सबको बतायेंगे,
है यीशु महान अपना,ये गीत सुनायेंगे
2) दिल तेरा खज़ाना है, एक पाक मोहब्बत का,
थाह पा न सका कोई, सागर है तु उल्फत का,
हम तेरी मोहब्बत से, दिल अपना सजायेंगे,
है यीशु महान अपना, ये गीत सुनायेंगे
3) ना देख सका हमको, तू पाप के सागर में,
और बनके मनुष्य आया, आकाश से सागर में,
मुक्ति का तू दाता है, दुनिया को बतायेंगे,
है यीशु महान अपना, ये गीत सुनायेंगे
को: दिल मेरा ले ले प्यारे यीशु
तूने इसे बनाया है
इसमें तू अपना घर बना ले
जिसके लिये यह बनाया है
1) दुनिया की सब चीज़ें निकालकर
इसे पाक - ओ - साफ कर,
गंदगी गुनाहों की तू धोकर,
उस खून से जो बहाया है
2) बहुत साल मैं रहा तुझसे दूर
लापरवाही ने किया दूर
फज़ल प्यार रहम की बख्शीश नेकी,
सबर कर मुझे सिखाया है
3) जब पढ़ता हूँ कलाम-ए-पाक
जो रास्ता है शाहेराह
राह हक्क और जिन्दगी अब्दी,
ईमान उम्मेद बढ़ाया है
4) रूह-ए-पाक का हो जाये मस्कन,
रूह-ए-पाक के बपतिस्मे से,
हर वक्त हर जगह दूँ गवाही,
जैसा उसने सिखाया है
को: यहोवा निस्सी, यहोवा निस्सी
यहोवा निस्सी, यहोवा निस्सी
यहोवा निस्सी धन्य तेरा नाम
धन्य धन्य धन्य तेरा नाम, हालेलुयाह
धन्य धन्य धन्य तेरा नाम
1) शत्रुओं की सेना को हराता तू
जय का झण्डा है हमारा तू
धन्य धन्य धन्य तेरा नाम –
2) शैतान के सिर को कुचलकर तू
मृत्यु पर जयवंत हुआ है तू
धन्य धन्य धन्य तेरा नाम –
3) जय के उत्सव में हमें ले चलता तू
सुगंध वचन का हमसे है फैलाता तू
धन्य धन्य धन्य तेरा नाम –
को: पावन है वो प्रभु हमारा
उसकी जय जयकार करो
निर्बल का वो बल है न्यारा
उसकी जय जयकार करो
जय हो, जय हो, जय हो - 2
1) दीन दुखियों का है दाता
भटके हुओं को राह दिखाता
सीधे मार्ग में हमें चलाता
उसकी जय जयकार करो
2) प्रभु हमारा बड़ा महान
निर्बुद्धियों को देता ज्ञान
पतितों का वो बचाता प्राण
उसकी जय जयकार करो
3) प्रभु की महिमा अपरंपार
जग का वो है तारणहार
मानो उसे अपना आधार
उसकी जय जयकार करो
1) क्रूस के पास तू मुझे रख यीशु प्यारे त्राता
पापी वहाँ सोते से सेंत में मुक्ति पता
को: क्रूस की मैं नित्य बड़ाई करूँगा
जब तक मैं आनन्दित हो पार न पहुँचूँगा
2) क्रूस के पास जब मैं आया प्रेम और कृपा पाई
वहाँ किरण सूर्य की मेरे दिल में आई
3) तेरी दया क्रूस के पास मुझे पहुँचावे
मेरे ऊपर सदा लो क्रूस की छाया आवे
4) क्रूस के पास मैं ठहरूँगा नित्य भरोसा रख के
जब तक मैं न देखूँगा हर्ष को तेरे घर के
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