1) यीशु क्या ही प्यारा मित्र, पाप और दुख उठाने को,
उसकी शरण हम ले सकते, हम पर दुःख का भार जब होकितना सुख हम भोगने पाते, कितने दुख से बचते भी,
जो हम सभी को ले जाके, प्रभु को बताते ही।
2) क्या परीक्षा मे हम पड़ें, व्याकुलता भी हो हमें
आशा प्रभु ही पर धर दें, उससे जा के सब कहें
सच्चा मित्र ऐसा कौन है, जो संभालें दुखों में
सारी निर्बलता वह जानता, उससे जा के सब कहें।
3) क्या हम दबतें भारी बोझ से, बल भी जाता सब रहा
प्यारा प्रभु है सहारा, उससे जा के सब कहें
क्या अनाथ और मित्र-हीन है, उससे जा के सब कहें
अपनी गोद में वा उठा के, शांति देवेगा हमें।
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