1) दी मैं ने अपनी जान और अनमोल रक्त को भी
कि होवे तेरा त्राण छुटकारा मौत से ही
या जान यूं दी तुझे क्या देता तू मुझे
2) मैं छोड़कर स्वर्गीय बास इस जग में आया था
तज गौरव सुख हुलास शोक दुःख उठाया था
यूं मैंने छोड़ा सब क्या छोड़ता है तू अब
3) जो दुःख अत्यन्त अपार सो मैंने सब सहा
कि तेरा हो उद्धार रक्त मेरा बहा था
यूं दुःख में मैं रहा क्या तू ने कुछ सहा
4) मैं लाया क्षमा त्राण और कुशल का सन्देश
स्वीकार कर मुक्ति दान और स्वर्ग में कर प्रवेश
यह सब कुछ लाया है अब तू क्या लाया है
5) नित जीवन की व्यतीत कर मेरी सेवा में
तू छोड़ इस जग की प्रीत स्वर्ग लोक के मार्ग को ले
ज्यों छोड़ा मैंने सब त्यो छोड़ तू अपना सब
कि होवे तेरा त्राण छुटकारा मौत से ही
या जान यूं दी तुझे क्या देता तू मुझे
2) मैं छोड़कर स्वर्गीय बास इस जग में आया था
तज गौरव सुख हुलास शोक दुःख उठाया था
यूं मैंने छोड़ा सब क्या छोड़ता है तू अब
3) जो दुःख अत्यन्त अपार सो मैंने सब सहा
कि तेरा हो उद्धार रक्त मेरा बहा था
यूं दुःख में मैं रहा क्या तू ने कुछ सहा
4) मैं लाया क्षमा त्राण और कुशल का सन्देश
स्वीकार कर मुक्ति दान और स्वर्ग में कर प्रवेश
यह सब कुछ लाया है अब तू क्या लाया है
5) नित जीवन की व्यतीत कर मेरी सेवा में
तू छोड़ इस जग की प्रीत स्वर्ग लोक के मार्ग को ले
ज्यों छोड़ा मैंने सब त्यो छोड़ तू अपना सब
No comments:
Post a Comment