को: ओ कितना गहरा प्यार यीशु मसीह का
सागर से भी विशाल हो धन्यवाद
1) क्या तुम थके हो बोझ से दबे हो
यीशु बुलाता कलवरी से
रोगों को मिटाने शांति अपनी देने
यीशु बुलाता कलवरी से
2) क्या तुम अनाथ हो क्या मित्रहीन हो
आंसु बहाते पीड़ा सहते हो
यीशु को अपना मानो सच्चा मित्र जानो
सारी दुनियाँ छोड़े वह न छोड़ेगा
3) बाल तेरे पकने तक
वो होगा साथ-साथ
माँ है भूल सकती वह न भूलेगा
आज यीशु पास आओ प्रेम अनुपम पाओं
प्यार येशु मसीह का ही बचाएगा
No comments:
Post a Comment