प्रकाशित वाक्य 3:17-18
[17]तू जो कहता है, कि मैं धनी हूं, और धनवान हो गया हूं, और मुझे किसी वस्तु की घटी नहीं, और यह नहीं जानता, कि तू अभागा और तुच्छ और कंगाल और अन्धा, और नंगा है।
[18]इसी लिये मैं तुझे सम्मति देता हूं, कि आग में ताया हुआ सोना मुझ से मोल ले, कि धनी हो जाए; और श्वेत वस्त्र ले ले कि पहिन कर तुझे अपने नंगेपन की लज्ज़ा न हो; और अपनी आंखों में लगाने के लिये सुर्मा ले, कि तू देखने लगे।
प्राथ॔ना: प्रभु हम संसार के धन व लोभ में न फसे, बरन सच्चाई व खराई से भक्ति व भय में जीवन जी सके, हमारी सहायता कीजिए, आमीन।
प्रभु आपको अपने वचन के द्वारा बरकत प्रदान करे।
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